دخترانِ انتظار!
دخترانِ اميدِ تنگ | |
در دشتِ بيكران، |
و آرزوهايِ بيكران | |
در خُلقهايِ تنگ! |
دخترانِ خيالِ آلاچيقِ نو | |
در آلاچيقهايي كه صد سال!ــ |
از زرهِ جامهتان اگر بشكوفيد
بادِ ديوانه
يالِ بلندِ اسبِ تمنا را
آشفته كردخواهد...
دخترانِ رودِ گلآلود!
دخترانِ هزار ستونِ شعله به تاقِ بلندِ دود!
دخترانِ عشقهايِ دور | ||
روزِ سكوت و كار | ||
شبهايِ خستهگي! |
دخترانِ روز | |||
بيخستهگي دويدن، | |||
شب | |||
سرشكستهگي!ــ |
در باغِ راز و خلوتِ مردِ كدام عشقــ
در رقصِ راهبانهيِ شكرانهيِ كدام | |
آتشزدايِ كام |
بازوانِ فوارهييتان را | |
خواهيدبرفراشت؟ |
افسوس!
موها، نگاهها | |
بهعبث |
عطرِ لغاتِ شاعر را تاريكميكنند.
دخترانِ رفتوآمد | |
در دشتِ مهزده! |
دخترانِ شرم | |||
شبنم | |||
افتادهگي | |||
رمه!ــ |
از زخمِ قلبِ آمانجان
در سينهيِ كدامِ شما خون چكيدهاست؟
پستانِتان، كدامِ شما
گلداده در بهارِ بلوغاش؟
لبهايِتان كدامِ شما
لبهايِتان كدام | |
ــ بگوييد!ــ |
در كامِ او شكفته، نهان، عطرِ بوسهيي؟
شبهايِ تارِ نمنمِ بارانــكه نيست كارــ
اكنون كداميك ز شما
بيدارميمانيد
در بسترِ خشونتِ نوميدي
در بسترِ فشردهيِ دلتنگي
در بسترِ تفكرِ پُردردِ رازِتان
تا يادِ آن ــ كه خشم و جسارت بودــ | |
بدرخشاند |
تا ديرگاه، شعلهيِ آتش را
در چشمِ بازِتان؟
بينِ شما كدام | |
ــبگوييد!ــ |
بينِ شما كدام
صيقلميدهيد | |
سلاحِ آمانجان را |
برايِ | ||
روزِ | ||
انتقام؟ |